Thursday, September 19, 2024

मध्य प्रदेश: हाई कोर्ट ने कहा- नर्सिंग का ‘N’ न पता होने वाले को भी परीक्षा की परमिशन

भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बार फिर नर्सिंग कॉलेज की परीक्षा पर रोक हटाने से मना कर दिया है. ग्वालियर बेंच के जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को तीखी टिप्पणी की है कि कई नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला है. इसी वजह से वे कॉलेज चला रहे हैं और समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं. हमें हैरानी हो रही है कि ऐसे लोगों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी गई, जिन्हें नर्सिंग का ‘एन’ भी नहीं मालूम.

कोर्ट ने अब सीबीआई के जांच अधिकारी को किया तलब

कोर्ट ने अब सीबीआई के जांच अधिकारी को भी तलब कर दिया है. दरअसल, नर्सिंग परीक्षा पर लगी रोक हटवाने के लिए राज्य सरकार, मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की तरफ से जमकर पैरवी की गई, लेकिन उनकी कोई भी दलील हाई कोर्ट में नहीं सुनी गई. मंगलवार को जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच में महाधिवक्ता प्रशांत सिंह उपस्थित हुए थे. उन्होंने कोर्ट को बताया कि एमपीएनआरसी ने सत्र 2022-23 के लिए सभी 485 कॉलेजों का निरीक्षण किया है. इसके बाद ही मान्यता देने की प्रक्रिया पूरी हुई. इसकी रिपोर्ट तैयार कर पेन ड्राइव में दी गई है. हाई कोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हम एमपीएनआरसी पर भरोसा नहीं करते है उनका रिकॉर्ड बहुत खराब स्थिति में है. अगर ये पहले इतनी ईमानदारी से काम करते तो आज यह स्थिति नहीं बनती. कोर्ट ने कहा कि कुछ सीमाएं हैं, जिन्हें हम लांघना नहीं चाहते.

महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि पिछली दो सुनवाई में कोर्ट की मंशा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने स्वयं अधिकारियों को बुलाकर एक-एक दस्तावेज का परीक्षण किया है. महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि वर्तमान में कुल 485 नर्सिंग कॉलेजों में करीब 20 हजार छात्र हैं. इनमें से 440 कॉलेज पुराने हैं. शेष 45 को पहली बार मान्यता दी गई है. सीबीआई जांच के दायरे से लगभग 130 कॉलेज बाहर हैं. शेष सभी कॉलेजों से जुड़े दस्तावेजों की जांच हो रही है. कोर्ट ने कहा कि आप इस केस से अभी जुड़े हैं. बीते दो से तीन सालों में इन लोगों ने इस मामले में क्या तमाशे किए हैं, आपको नहीं बताया गया. कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता दूसरी है जिस प्रदेश में एक बार धांधली हो चुकी है, हम वहां पर उन्हीं लोगों से कहें कि आप परीक्षा ले लो, तो सीधे से बात निगली नहीं जा सकती. ये ध्यान रहे कि हम ये सब पब्लिसिटी के लिए नहीं, बल्कि आमजन के हित के लिए कर रहे हैं.

एडवोकेट दिलीप कुमार शर्मा ने दो नोटिफिकेशन को दी थी चुनौती

दरसअल, एडवोकेट दिलीप कुमार शर्मा ने एक जनहित याचिका दायर करते हुए मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के उन दो नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी, जिसके आधार पर 100 से अधिक कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को सत्र 2019-20 और 2020-21 के लिए संबद्धता प्रदान की गई. 27 फरवरी को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बीएससी (नर्सिंग) और पोस्ट बेसिक बीएससी परीक्षा पर अंतरिम रोक लगा दी और यूनिवर्सिटी से जवाब तलब किया था. पिछली सुनवाई के दौरान भी मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी,जबलपुर द्वारा नर्सिंग कॉलेजों को बैकडेट से संबद्धता देने पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने सख्त नाराजगी जताई थी.

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