भोपाल। पोषण ट्रैकर ऐप ने आंगनबाड़ियों, उनकी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के कामकाज पर सवाल खड़े किए हैं। ऐप से रोजाना मिल रही रिपोर्ट में सामने आ रहा है कि 97 हजार 137 आंगनवाड़ियों में से 25 हजार तो रोजाना खुल ही नहीं रही हैं।
क्या है आंगनवाड़ियों का काम?
आंगनवाड़ियों का काम था कि वे आने वाले 3 से 6 साल के बच्चों को नाश्ता और गर्म व पका भोजन भी दें, लेकिन यह भी सही तरीके से नहीं किया गया। करीब 24 लाख बच्चों को रोज न नाश्ता मिल रहा है और न ही भोजन। इस खुलासे के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिलों से कहा है कि पूरी आंगनवाड़ियां खोली जाएं और बच्चों को पोषण आहार मिले।
केंद्र सरकार ने दो साल पहले दिया था यह ऐप
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने दो साल पहले यह पोषण ट्रैकर ऐप दिया था। मध्य प्रदेश सरकार ने इसे लांच कर दिया। इसी के बाद से निगरानी बढ़ गई। ऐप के आंकड़ों का रिव्यू किया गया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
इतने लाख बच्चे हुए कुपोषित
मार्च 2022 में सरकार ने विधानसभा में जानकारी देते हुए कहा था कि 10 लाख 32 हजार 166 बच्चे कुपोषित हैं। जिनमें से 6 लाख 30 हजार 90 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं। प्रदेश में 0 से लेकर 5 वर्ष के 65 लाख 02 हजार 723 बच्चे हैं। हाल ही में महिला बाल विकास विभाग ने कहा कि प्रदेश में अब 3.93 प्रतिशत बच्चे ही कुपोषित हैं।
प्रदेश में 76 प्रतिशत आंगनवाड़ियां ही खुल रही
आपको बता दें कि आंगनवाड़ी केंद्रों के खुलने और बच्चों को नाश्ता और गर्म पका भोजन बांटने में काफी अंतर मिला है। प्रदेश में कुल आंगनवाड़ियों में से 76% ही खुल रही हैं। इसी तरह नाश्ता और गर्म पका भोजन सिर्फ 32% आंगनबाड़ी में मिल रहा है। इसका असर सीधे बच्चों के पोषण पर पड़ेगा। इसे लेकर रोजाना मॉनिटरिंग हो रही है, लिहाजा 21 अप्रैल 2023 की रिपोर्ट का रिव्यू किया गया है।