भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार राज्य के अलग-अलग जिलों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने को लेकर प्रयासरत है. हर घर नल का जल योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की पाइप लाइन पहुंचाई जा रही है. सरकार के मंत्री और अधिकारी दावा करते हैं कि राज्य में लोगों को पेयजल संकट से लगभग मुक्ति मिल गई है. लेकिन इन दावों से इतर, अब भी कुछ ऐसे गांव हैं, जहां पर शुद्ध पेयजल लोगों की पहुंच से बाहर है. उन्हीं में से एक गांव है बसाली, जो कि बुरहानपुर में स्थित है.
नदी भी 2 किलोमीटर दूर
बसाली गांव में रहने वाले लोग हर दिन पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं. ग्रामीण पीने के लिए नदी के पानी को इस्तेमाल में लाते हैं. लेकिन, पानी के लिए भी उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. ग्रामीणों को नदी तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. वहां पहुंचकर महिलाएं या पुरूष बर्तन में पानी भरते हैं. फिर सिर या बैलगाड़ी के जरिए इसे गांव तक लाते हैं. बताया जा रहा है कि यह गांव आदिवासी बहुल है.
सालों से है पानी का संकट
ग्रामीण बताते हैं कि यहां सालों से पानी की समस्या बनी हुई है. गांव में न तो हैंडपंप की व्यवस्था है और न ही कोई कुआं-बावड़ी है. इसी वजह से हमें 2 किलोमीटर दूर से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. जिला कलेक्टर भाव्या मित्तल के मुताबिक, वे लोग वन क्षेत्रों में निवास करते हैं. ये लोग लगातार वन अधिकार पट्टे की डिमांड कर रहे हैं. लेकिन उनके दावे अभी तक स्वीकार नहीं हुए हैं.
मामले पर क्या बोले जिला कलेक्टर
जिला कलेक्टर ने कहा कि वन का अतिक्रमण करके रहने वालों को किसी भी तरीके की सुविधा नहीं दी जा सकती. यह केवल एक गांव की समस्या नहीं है. ऐसे कई गांव हैं. इसको लेकर सीईओ जिला पंचायत वेरिफिकेशन करने भी गए थे. वहीं, कांग्रेस के पूर्व जिला उपाध्यक्ष हेमंत पाटिल का आरोप है कि बीजेपी सरकार नल जल योजना में पूरी तरह से फेल हो चुकी है. इसी वजह से ग्रामीणों को नदी में गड्ढा खोदकर पानी लाना पड़ रहा है.