Friday, September 20, 2024

जानिए कौन हैं बैजाबाई? जिन्हें लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया बड़ा दावा

भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक दावे के बाद सिंधिया घराने की महारानी बैजाबाई चर्चा में है। दरअसल सिंधिया ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि उनके घराने की महारानी बैजाबाई ने न सिर्फ काशी के मंदिरों बल्कि ज्ञानवापी कुएं में मौजूद शिवलिंग का भी संरक्षण किया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बयान ने उस बात को और बल दे दिया है जिसमें कहा जा रहा है कि ज्ञानवापी कुएं में शिवलिंग है। इसके बाद से लोगों में इस बात की दिलचस्पी बढ़ गई है कि कौन थीं सिंधिया घराने की महारानी बैजाबाई?

सिंधिया रियासत को चलाया

सिंधिया रियासत को चलाने वाली बैजाबाई बाइजा बाई के नाम से भी जानी जाती थी। उनका जन्म सन 1784 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर के कागल में हुआ था। इनके पिता सखाराम घाटगे उस समय कागल के देशमुख थे। इनकी माता सुंदराबाई थी। 1798 में बैजाबाई महज 14 साल की थी जब इनका विवाह ग्वालियर के सिंधिया घराने के दौलत राव सिंधिया के साथ हो गया। बैजाबाई तलवारवाजी और घुड़सवारी में माहिर थी। 43 साल की उम्र में इन्होंने सिंधिया रियासत की बागडोर संभाली।

अंग्रेजों ने सत्ता से हटाया

बैजाबाई सिंधिया घराने के महाराज दौलत राव सिंधिया की तीसरी पत्नी थीं। मराठा और अंग्रेजो के बीच हुए युद्ध में बैजाबाई अपने पति के साथ शामिल हुई और दुश्मनों का सामना किया। दौलत राव सिंधिया राज्य के कामकाजों में बैजाबाई की मदद लेने लगे। जब उनका निधन हो गया तो बैजाबाई ने रियासत की बागडोर संभाली।1827 से लेकर 1833 तक इन्होंने सिंधिया रियासत पर राज किया। जब ये शासन चला रही थी तो समय देश में ईस्ट इंडिया कंपनी भी मौजूद थी। ईस्ट इंडिया कंपनी बैजाबाई के पक्ष में नहीं थी। इस वजह से इन्हें अंग्रेजों द्वारा सत्ता से हटा दिया गया और इनके दत्तक पुत्र जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय को शासन की बागडोर थमा दी। वर्ष 1863 में बैजाबाई की मृत्यु हो गईं।

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