Friday, September 20, 2024

MP Politics: क्या एमपी के चुनाव परिणाम भी चौकाएंगे कर्नाटक की तरह, जानिए पार्टियों की चुनावी रणनीति

भोपाल। लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली सरकारों के लिए हमेशा से चुनाव के समय एंटी इनकम्बेंसी एक बड़ी मुसीबत रहती है. अगर कमलनाथ सरकार के 15 महीने का कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो 18 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है. कांग्रेस एन्टी इनकंबेंसी के सहारे सरकार को घेरने हर विधानसभा क्षेत्र और जिले के लिए खास रणनीति तैयार कर रही है. वहीं भाजपा मौजूदा सरकार की योजनाओं के दम पर विपक्ष को जवाब देने की तैयारी में है.

कांग्रेस- मुद्दों के अनुसार तैयार किया जाएगा वचन पत्र

मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही कांग्रेस अब रणनीति बनाने के लिए प्रदेश के साथ अन्य राज्यों के नेताओं की मदद भी ले रही है. पार्टी ने तय किया है कि हर विधानसभा और जिले की जरूरत, जनता की मांग और मुद्दों के अनुसार वचन पत्र तैयार किया जाएगा. साथ ही भाजपा के स्थानीय नेताओं को घेरने के लिए किलाबंदी की जाएगी. जहां जिस नेता की डिमांड होगी उसे भेजा जाएगा. कांग्रेस के फ्रंटल ऑर्गनाइजेशनों की प्रभारी शोभा ओझा ने कहा कि 2018 में ही जनता ने बीजेपी सरकार को नकार दिया था. 2023 में भी जनता कांग्रेस को ही वोट देगी. कांग्रेस, भ्रष्टाचार, महंगाई, कानून व्यवस्था, एसटी, एससी, ओबीसी वर्ग पर अत्याचार, रेत माफिया, शिक्षा माफिया, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी.

बीजेपी- इस चुनाव में भी जनता हमें जिताएगी

वहीं एंटी इनकंबेंसी को ना मानते हुए भाजपा का तर्क है कि मध्य प्रदेश में सरकार हर रोज नए रूप में काम करती है. नया सवेरा लेकर हम आते हैं. 18 साल पुरानी सरकार है. लेकिन हम जनता को उसके हाल पर छोड़ दें ऐसी नीति नहीं है. लाडली बहना योजना, युवा नीति, सीखो कमाओ योजना जैसे कार्यक्रम हम हर वर्ग के लिए लगातार लेकर आ रहे हैं. इसका ही नतीजा है कि सरकार के खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी नहीं है. हर वर्ग भाजपा के साथ है और इन चुनावों में भी भाजपा को ही जनता जिताएगी.

पार्टियों में होगी कांटे की टक्कर

चुनावी सरगर्मी को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2023 में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होगा. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी एआईएमआईएम जैसे अन्य दलों ने भी मध्यप्रदेश में चुनौतियों को बढ़ा दिया है. देखना होगा कि चुनावी रण में कौन से दल की रणनीति जनता की कसौटी पर खरा उतरती है.

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